औरंगाबाद से रीवा के लिए खाली हाथ निकला मजदूर
औरंगाबाद से रीवा के लिए खाली हाथ निकला मजदूर
मुलताई। देश भर में कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने हेतु लॉकडाउन लागु किया गया है। लॉकडाउन में ना तो यात्री बसे चल रही और ना ही ट्रेनें। ऐसे में अपने घरों की ओर लौटने के लिए मजदूर जो बाहर प्रदेशों में काम के सिलसिले में गए थे। वे साधन नहीं होने के कारण पैदल ही अपने गांव की ओर निकल पड़े है। बीते दिनों आठनेर से पिता अपनी दो बेटियों व बेटे के साथ सिर पर गठरी व हाथ में थैले लेकर अपने गांव के लिए निकल गया था। इसी तारतम्य में आज बुधवार सुबह 11 बजे खाली हाथ एक 25 वर्षीय युवक बदहाल अवस्था में मुलताई पहुंचा। जिसे सेवाभावी नागरिकों द्वारा हाल चाल पूछते हुए पहले तो उसे अस्पताल जाकर चेकअप कराकर आने को कहा। युवक जब वापस चेकअप कराकर आया तो उसे एक बॉटल में पानी देकर हाथ मुंह धोने का कहने के बाद उसके हाथ सेनेटाईज कराए गए व उसे भोजन कराया गया। युवक ने अपना नाम निथलेश पिता शिवलाल निवासी ग्राम जबा जिला रीवा का रहने वाला बताया। निथलेश ने बताया कि वह औरंगाबाद में पॉली बैग बनाने वाली कम्पनी में मजदूरी करता था। अचानक लॉकडाउन हो जाने से फैक्ट्री बंद हो गई और 21 दिन के लॉकडाउन में उसने जैसे तैसे अपना समय व्यतित किया। जब 14 अपै्रल को पुन: 19 दिन के लॉकडाउन की घोषणा हुई तो उसने पैदल ही अपने गांव जाने की ठान ली, और खाली हाथ ना थैला ना पानी की बोतल, तन पर जो कपड़े थे उसी पर घर जाने के लिए निकल पड़ा। निथलेश ने बताया कि रास्ते में जहां हेंडपंप व कुंए का पानी पीकर सफर तय करता, जहां नींद आती वहां सो जाता और अगले दिन सुबह होते ही सड़क पर पैदल ही निकल जाता था। रास्ते में कोई गांव पडऩे पर सेवाभावियों द्वारा बिस्किट के पैकेट, फल फ्रुट जो भी दिया जाता उसी के सहारे 14 अपै्रल से पैदल ही निकला था। आज 9वे दिन मुलताई पहुंचा, जहां सामाजिक बंधूओं द्वारा उसे भरपेट भोजन कराया। युवक ने बताया कि उसे रीवा जाना है किसी तरह का कोई साधन नहीं होने पर वह आगे भी पैदल ही अपना सफर तय करेगा।